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टाइगर T-8 का चक्रव्यूह नहीं भेद पा रहा वन महकमा, चार डॉक्टर व कई वन कर्मियों के निरंतर अभियान के बाद भी नतीजा ज़ीरो

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स्वरुप पुरी / सुनील पाल 

देहरादून वन प्रभाग व राजाजी के वन कर्मी इन दिनों एक नए संकट से जूझ रहे है। मामला राजाजी की मोतिचूर व देहरादून वन प्रभाग की ऋषिकेश व बड़कोट रेंजो से जुडा हुआ है। किस्सा बिल्कुल विश्व प्रसिद्ध जिम कोर्बेट द्वारा लिखी कहानियो मे घटित किस्सों की तरह है। कुमाउ व गढ़वाल मे आदमखोर बाघो के सफाये में जिम कोर्बेट ने अहम भूमिका निभाई। मगर यहां किस्सा कुछ और ही है। बाघो के ट्रांसलोकेसन के तहत कोर्बेट से लाया गया पांचवा बाघ T-8 रहस्यमयी बन चुका है। राजाजी की सीमा से निकल यह बड़कोट व ऋषिकेश रेंज मे अपना डेरा जमा चुका है। इसे वापस राजाजी लाना किसी अभेद किले को भेदने के समान लग रहा है। आज से कई दशकों पूर्व जिम ने बिना संसाधनों के घने जंगलो मे आधमखोरो को निपटाया था, मगर इससे उलट उन्नत टेक्नोलॉजी व आधुनिक उपकरणों के बावजूद भी बाघ ट्रेंकुलाइज नहीं हो रहा।

विकट परिस्थिति,घना जंगल के बीच एक्सपर्ट टीम ने की ट्रेंकुलाइज की तैयारी

राजाजी को पार करने के बाद अब तक यह टाइगर T-8 वापस नहीं लौटा है। बड़कोट व ऋषिकेश के जंगलो को इसने अपनी टेरिटरी बना लिया है। वहीं जंगल मे मारे गए एक युवक जिसकी जांच अभी जारी है उसका, कलंक भी इस पर है। अगर यह आदमखोर होता तो कई बार आबादी मे घुस चुका होता। मगर अभी तक तो ऐसा नहीं हुआ। सूत्रों की माने तो छेत्र मे मौजूद एक और बाघीन होने के कारण ही यह वापस नहीं जा रहा है। अब यह अभियान कब तक चलेगा, यह कोई नहीं जानता।

“टाइगर को सैटेलाइट लोकेशन के द्वारा मॉनिटरिंग कर इसको ट्रेंकुलाइज करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके लिए राजाजी और देहरादून डिवीजन की चार सदस्य डॉक्टर की टीम लगातार मॉनीटरिंग कर रही है,साथ ही पूरे वन क्षेत्र में मानवीय गतिविधि पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है जिसके लिए कई टीमों का गठन कर लगातार गस्त भी बढ़ा दी गई है।”

नीरज शर्मा, डीएफओ देहरादून।

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