स्वरुप पुरी /सुनील पाल
हरिद्वार में शुक्रवार को एक बार फिर विशालकाय गजराज आबादी छेत्र में चहलकदमी करते नजर आया। मामला हरिद्वार के प्रसिद्ध गुरुकुल कांगड़ी विवि की है। आज सुबह विवि परिसर में मॉर्निंग वाक कर रहे लोगो ने ज़ब इसे देखा तो सबकी साँसे अटक गयी। काफी देर तक यह गजराज विवि परिसर का निरीक्षण करता रहा। गौरतलब है की इस छेत्र में कभी इनका कोरिडोर था, मगर अब कांकरीट का जंगल। शुक्र है हर बार की तरह यह आसानी से निकल गया।
इस समस्या को लेकर दीवार का प्रस्ताव तैयार, देहरादून में बैठे हाक़िम जल्द ले फैसला, तो समस्या का हो निराकरण
इस छेत्र में कई ग्राम सभाए जंगली गजराजो के आतंक से त्रस्त है। फसलों के नुकसान के साथ मानव वन्यजीव संघर्ष का भी हमेशा खतरा बना रहता है। कई टीम लगातार मौक़े पर रह, गजराजो के साथ इंसानो के दबाव को झेलती रहती है। मगर आखिर कब तक. क्या ये सिलसिला ऐसा ही चलता रहेगा। देहरादून में बैठे हाकीमो ने प्रयास तो किए, मगर किस्तों में किए काम के चलते समस्या जस की तस बनी हुई है। कुम्भ के दौरान नगर वन से जुडी ढाई किमी की दीवार बनाई गयी थी, जो अब सुधारिकरण की आस में निर्देशों का इन्तजार कर रही है। वहीं कुम्भ के दौरान कुछ उत्पाती गजराजो को कालर भी लगाए गए थे, क्या ये अब भी एक्टिवेट है, यह भी एक बड़ा प्रश्न है। वहीं सूत्रों की माने तो इस समस्या को लेकर हरिद्वार वन प्रभाग सजग है, ओर उसके द्वारा संवेदनशील छेत्र में हाथी रोधी दीवार का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। मगर क्या देहरादून में बैठे हाक़िम इसे स्वीकृति देंगे या नहीं, यह बड़ा प्रश्न है। क्या कभी किसी ने देहरादून से यंहा पंहुच, देर रात तक धरातल में तैनात वनकर्मियों के साथ हाथियो को आबादी छेत्र से खदेड़ा है, कभी नहीं सुना। इस विषय पर गंभीर मंथन जरूरी है।