स्वरुप पुरी /सुनील पाल
बीते कई वर्षो से हरिद्वार के बाहरी छेत्रो मे गजराजो की दस्तक लगातार बनी हुई है। कोई दिन ऐसा नहीं ज़ब गजराजो के झुण्ड यहां की गलियों व चौबारो मे न देखे जाएं। गनीमत है की कुछ समय से जंगल के इन शरीफ, भीमकाय, निरीह जीवो ने किसी घटना को अंजाम नहीं दिया या फिर कहे तो खुशकिस्मत है वो लोग जो इनकी जद मे नहीं आये मगर आखिर कब तक। कल एक वीडियो वायरल हुआ जो दिखाता है की यह झुण्ड केवल अपने पेट भर चारे की तलाश मे शहर का निरीक्षण करता है। भोजन की तलाश मे यह झुण्ड जगजीतपुर मे आ धमका। शोर शराबे के बीच यह आपस मे बिछड़ गए बिछड़ने से परेशान एक गजराज ज़ब तेजी से वापस निकला तो कांकरीट के फर्श पर फिसल गया। उसे नहीं मालूम की उसके पूर्वजों के कॉरिडोर मे इंसानो की बस्तीया बस चुकी है। शुक्र है की ज़नाब जितनी तेजी से गिरे, उतनी तेजी से ही उठ खड़े हुए, मगर यह हास्य का विषय नहीं।
समस्या निराकरण को लेकर चल रही है फाइले,आखिर कब निकलेगा समाधान पता नहीं।
वहीं इस गंभीर प्रकरण को लेकर ज़ब भी लोग मुखर होते है, तो वन महकमे के पास इसका कोई जवाब नहीं होता। स्थानीय स्तर पर वन कर्मी आखिर कर भी क्या सकते है केवल पेट्रोलिंग। निर्णय तो देहरादून मे मौजूद उच्चस्तर से होना है। हाथी रोधी दीवार की चर्चा तो सबने सुनी है, मगर यह कब बनेगी, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। वहीं हाथियो के कॉरिडोर को लेकर भी मंथन जरूरी है।
“मानसून और खेतो मे खड़ी धान व गन्ने की फसलों के चलते इन दिनों हाथियों का मुवमेंट अधिक हो रहा है, जिसको लेकर लगातार वनकर्मियों की कई टीम गस्त कर रहीं है, आवश्यकता पड़ी तो टीमों संख्या और बढ़ाई जाएगी, हाथी सुरक्षा दीवार को लेकर भी शासन को प्रस्ताव भेजा हुआ है, स्वकृति मिलते ही काम कर शुरू कर दिया जायेगा, कुम्भ मेले मे भी प्रस्ताव रखा गया है।”
पूनम कैंथोला, एसडीओ हरिद्वार वन प्रभाग।