स्वरुप पुरी /सुनील पाल
एक दौर था जब राज्य मे आदमखोर बाघो का खौफ था। कुमाऊं हो या गढ़वाल इन छेत्रो मे कई ग्रामीण इन आदमखोर बाघो का शिकार बने। ऐसे मे इनके सफाये को लेकर उस दौर के प्रसिद्ध शिकारी जिम कॉर्बेट ने मोर्चा संभाला। उनके किस्से आज भी मशहूर है। शुक्रवार को जिम की 150 वीं जयंती के मौक़े पर रामनगर में मशहूर शिकारी और कथा लेखक एडवर्ड जिम कॉर्बेट की 150वीं जयंती पर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम मे राज्य के वन मंत्री सुबोध उनियाल समेत वन विभाग के आला अधिकारियो ने भी शिरकत की। इस दौरान “गोरा साधु” और “मोती” नाम के नाटक का भी मंचन किया गया। इन नाटको को लोगो ने खूब सराहा।
कार्यक्रम में वन मंत्री ने डाक विभाग द्वारा “जिम कॉर्बेट की 150वीं जयंती” पर जारी किये गए लिफाफे का भी विमोचन किया। उन्होंने पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वालों के लिए हर साल जिम कॉर्बेट अवार्ड दिए जाने की भी घोषणा की।