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पंचायत चुनाव को लेकर ग्रामीण छेत्रो मे जोश, रूठो और अपनों को मनाने का दौर शुरू

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स्वरुप पुरी /सुनील पाल 

राज्य के हरिद्वार को छोड़ अन्य 12 जनपदों के ग्रामीण छेत्रो मे छोटी सरकार के गठन को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी है। उच्च हिमालयी छेत्रो से मैदान तक जिला पंचायत, छेत्र पंचायत सहित ग्राम पंचायतो मे एक से बढकर एक विकास पुरुषो के दर्शन होने शुरू हो गए है। चाय की चुस्कीयो के बीच पिछले वालो ने क्या किया, कितना बटोरा व अब क्या करेंगे को लेकर चर्चाए चल रही है। देर रात तक चुनावी गोटिया बिछाने, रूठो को मनाने को लेकर माथा पच्ची चल रही है। वहीं बीच बीच मे सिंघम टाईप सपोर्टर कुछ न कुछ ऐसे मुद्दे उछाल रहे है, जो मुद्दे कम,जनता के मजे,हंसी ठिठोली व चर्चा का केंद्र बन रहे है।

सोशल मीडिया पर दावो की भरमार, क्या इन दावो पर जनता लगाएगी जीत की मुहर 

ग्रामीण छेत्रो के इन चुनावों मे राजनैतिक दलो के टिकट व समर्थन को लेकर सिर फुटव्वल जारी है। जिन्हे टिकट मिल गया है, वो अभी से अपने को विजेता समझने लगे है और जिन्हे नहीं मिला वो पार्टी की लंका लगाने मे लगे हुए है। नेता तो नेता सपोर्टरो ने तो विकास को लेकर रणनीति तक तैयार कर ली है। राजनीती की इस पहली सीढ़ी व चकाचौंध को लेकर कई ऐसे भी जो सपनो की दुनिया मे उड़, जनता के समक्ष अपनी दावेदारी पेश कर रहे है। भले ही मतदाता उन्हें न पहचाने मगर वे तो अपने को विकास पुत्र /पुत्री की श्रेणी का साबित करने मे जी जान से जुटे है। 

लोकतंत्र है भई, सभी को अधिकार है अपनी दावेदारी पेश करने का, शुक्र है, सोशल मीडिया का जो इनके सपनो को पँख लगा रहा है। नशा, सड़क, सीवर, जंगली जानवर प्रमुख मुद्दे है, जिसे सभी भुनाने मे लगे है। मगर ये तो तय है जीत उसी की होंगी जो जनता के दिल मे होगा। अब मतदाता बेहद ही जागरूक है काम किया, काम करेंगे व अन्य दावे व वादों को वह बखूबी समझती है। वो ये भी जानती है की फोटो खेंचू, फेसबुक, अखबार छपासी व समय समय पर अपने से बड़े वालो को बुके थमाने वाले बुकेधारियों की असलियत क्या है। उम्मीद है की राज्य के जागरूक मतदाता इस बार ऐसे शिक्षित लोगो को चुनेंगे जो सच मे विकास की परिकल्पना को लेकर मैदान मे है।

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