स्वरुप पुरी /सुनील पाल
देहरादून के लच्छीवाला छेत्र मे कल देर रात एक जंगली गजराज ने जम कर उत्पात मचाया। मामला लच्छीवाला टोल प्लाजा के पास का है यहां जंगलो से सटे हाइवे पर काँवड़ियों के लिए लगे भंडारे के पास एक जंगली गजराज आ धमका। इसके आने से अफरातफरी मच गयी। डीजे के शोर के चलते यह गजराज बिदक गया फिर इसने जम कर उत्पात मचाते हुए एक ट्रैक्टर ट्राली को पलट दिया। अब यह घटना चर्चा मे बनी है की आखिर ऐसे वन छेत्रो मे भंडारे क्यू लगाए जाते है।
वन कानूनों की खुलेआम उड़ती है धज्जिया, अनुमति देने वाले मौन
कांवड़ यात्रा के दौरान करोड़ो की संख्या मे शिवभक्त हरिद्वार, ऋषिकेश व गंगोत्री यमुनोत्री तक जाते है। सबसे ज्यादा श्रद्धालु हरिद्वार व ऋषिकेश मे पंहुचते है। ऋषिकेश नीलकंठ पैदल मार्ग पर भंडारो की भरमार है। शहरी छेत्रो मे सैकड़ो की संख्या मे भंडारे लगाए जाते है। मगर बीते कुछ वर्षो मे वन छेत्रो मे भी भंडारे लगने लगे है। ये भंडारे कई बार संकट भी बनते है, वन छेत्रो मे भंडारा आयोजको द्वारा फैलायी गयी गन्दगी से वन्यजीव आकर्षित होते है। इन्ही हालातो के चलते लच्छी वाला जैसी घटनाए घटती है। वहीं वन्यजीव संरक्षण व संवर्धन के बड़े बड़े दावे करने वाला वन महकमा आखिर क्यू इस दौरान मौन रहता है। आखिर किन वजहो से वो वन छेत्रो मे भंडारे लगाने की परमिशन दे देता है। क्या उसे नहीं मालूम की जो परमिसन वह दे रहा है, उससे वन्यजीव संरक्षण प्रभावित हो सकता है। साथ ज़ब वन्यजीव व पर्यावरण प्रेमी प्रेमी हल्ला मचाते है तो महज चालान कार्यवाही कर मामले को ठंडा कर दिया जाता है। वहीं कल रात की घटना से क्या वन महकमा सबक लेगा यह बड़ा सवाल है।