स्वरुप पुरी /सुनील पाल
धर्म व अध्यात्म की नगरी हरिद्वार अपने प्राकृतिक वास स्थलों के रूप मे भी जाना जाता है। शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी मे स्थित हरिद्वार वन प्रभाग के खूबसूरत जंगल पर्यटको की पहली पसंद रही है। इन्ही जंगलो मे आईयूसीएन की श्रेणी मे रखे गए बारहसिंघो के संरक्षण को लेकर शुरू हुआ कार्य आज मील का पत्थर साबित हो रहा है। जंगल सफ़ारी के शौकीन सैलानीयों के लिए लिए मंगलवार से इसके गेट खोल दिए गए है। पर्यटक सुबह व शाम की दो शिफ्ट मे जंगल सफारी कर सकेंगे।
सफारी मार्ग के सुधारिकरण मे बजट बना रोड़ा, वन कर्मियों ने अपनी मेहनत से ट्रैक को किया चालू
झिलमिल झील सफारी ट्रैक की बात करें तो हरिद्वार मे डीएफओ रहे सनातन सोनकर ने इसकी पहल की थी। उस समय ज़ब यह 22 किमी का ट्रैक तैयार हुआ था, तो प्रदेश भर मे इसकी चर्चा हुई थी। वन महकमे के आला अफसरों व वन मातृयो तक ने समय समय पर यहां पंहुच इसकी सराहना की थी।
आज यंहा बेहतरीन हट्स पर्यटको के लिए बनाई गयी है। साथ ही आधुनिक शौचालय के साथ बेहतरीन रिसेप्सन सेंटर, व अंग्रेजो के समय का बंगला भी यंहा मौजूद है। मगर सूत्रों की माने तो बजट के अभाव मे पर्यटक मार्ग इस बार दुरुस्त नहीं किया जा सका है।
बजट की कमी होने के बावजूद भी जुझारू वन कर्मियों ने ट्रैक सुधारिकरण का प्रयास तो किया है, मगर आखिर कब तक। झिलमिल झील प्रोजेक्ट राज्य की शान है, तो फिर बजट की कमी क्यों, यह बड़ा सवाल है।
“हर वर्ष पंद्रह अक्टूबर को यह गेट सैलानियों के लिए खोले जाते है, हमारी टीम ने बेहतरीन प्रयास कर इस सीजन की शुरुआत की है पर्यटको के लिए यहां आधुनिक सुविधा वाली चार हट्स, व शौचालय तैयार किए गए है, यहां बारहसिंघो के साथ अन्य वन्यजीवो का दीदार आसानी से कर सकते है।”
हरीश गैरोला, वन क्षेत्रधिकारी, चिड़ियापुर रेंज हरिद्वार।