स्वरुप पुरी /सुनील पाल
एक ओर पहाड़ी जिलों में गुलदार आतंक मचा रहा है तो वहीं दूसरी ओर मैदानी छेत्रो में जंगली गजराज आतंक का पर्याय बने हुए है। बीती कल सुबह एक बार फिर सात विशालकाय गजराजो ने जमालपुर कला छेत्र में नियमित गस्त कर अपनी दहशत कायम की। सात हाथियो के झुण्ड के कालोनी में घुसते ही हड़कंप मच गया। मगर गनीमत रही की बिना नुक्सान किए ये यंहा से निकल गए। बीते कुछ माह से इनको लेकर छेत्र में खौफ मचा हुआ है। जमालपुर से सटे ग्रामीण छेत्रो के साथ ही अब ये बहादराबाद तक पंहुचने लगे है। हाल ही में राज्य के वन मंत्री ने भी इस घटना का संज्ञान ले अधिकारियों को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए है।
बस्तियों के चलते कोरिडोर हुआ खत्म, करे तो क्या करे गजराज
लगातार आबादी में गजराजो की दस्तक जहाँ इन छेत्रो में रहने वालों के लिए बड़ा संकट है, तो वहीं वन महकमे के लिए इनसे निपटना बड़ी समस्या बना हुआ है। हरिद्वार रेंज के कर्मी लगातार पेट्रोलिंग कर आपात स्थिति से निपट रहे है, मगर समस्या बहुत बड़ी है। गंगा से सटे जंगलो से निकल, गन्ने व फसलों की चाह में ये गजराज यहां धमकते है। मगर वन महकमे को समस्या की जड़ तक पहुंचना ही होगा। देहरादून में बैठे उच्च अफसरों को धरातल पर उतर खुद मोर्चा संभालना होगा, साथ ही हरिद्वार वन प्रभाग द्वारा भेजे गए हाथी रोधी दीवार व फेंसिंग को लेकर बजट जारी करना होगा। जितनी जल्दी यह कार्य होगा, तभी समस्या का निदान भी होगा।








