स्वरुप पुरी /सुनील पाल
बीता एक वर्ष राज्य वन महकमे के लिए दुःखद भरा रहा है। एक वर्ष पूर्व 8 जनवरी के दिन राजाजी टाइगर रिजर्व की चीला रेंज मे एक ऐसा हादसा हुआ जिसने सभी को झकझोर के रख दिया था। राजाजी के कुछ होनहार अफसर एक दुःखद हादसे की भेंट चढ़ गए थे। आज 8 जनवरी को इस हादसे की पहली बरसी है। इस अवसर पर आज तड़के चीला रेंज मे शहीदों को श्रद्धांजली दी गयी। पार्क के कार्यवाहक निदेशक राजीव धीमान, उप निदेशक महातिम यादव, एसीएफ सरिता भट्ट, अजय लिंगवाल, चित्रांजलि नेगी सहित रेंज अधिकारी चीला -हरिद्वार बिजेंद्र दत्त तिवारी, मोतीचूर रेंज अधिकारी महेश सेमवाल, आरओ गोहरी राजेश जोशी व वन कर्मियों ने शहीदो को पुष्पांजलि अर्पित की। वहीं इस अवसर पर शहीदो के नाम पर सफारी मोटर मार्ग भी तय कर दिए गए है। इन मार्गो पर उनके नाम के शिलापट भी लगाए गए है।
वाहन निर्माता व डीलर पर होंगी कार्यवाही, एक वरिष्ठ अफसर भी कार्यवाही की जद मे
इस दुःखद घटना मे जिन्होंने अपनों को खोया, वो आज भी संभल नहीं पाए है। भले ही उनके परिवारो को कुछ राहत दे दी गयी हो, मगर दोषी कौन था, किसके कहने पे इस वाहन को राजाजी मे भेजा गया, चीला मे ट्रायल के दौरान क्या क्या हुआ, अब इसको लेकर कार्यवाही शुरू हो चुकी है। इस घटना की जांच पूर्व मुख्य सचिव ने की थी। जिसके बाद अब वाहन निर्माता व डीलर पर कार्यवाही की जायेगी। साथ ही वन महकमे के वरिष्ठ अफसर पर भी कार्यवाही की तलवार लटक रही है।
संघठनों के दबाव के बाद अब लगे शिलापट्ट, फैसला लेने मे हुई देरी… बना बड़ा सवाल ?
राज्य वन महकमे की कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा से ही सवाल उठते रहे है। इस दुःखद घटना के बाद बड़े बड़े वादे किए गए थे। घटना को लेकर अब दोषियों के खिलाफ कार्यवाही का दौर शुरू हुआ है। वहीं इससे अलग राजाजी मे मौजूद संघठनों ने शहीदों को लेकर अपनी मांगे रखी थी। सहायक वन कर्मचारी संघ ने चीला -ऋषिकेश मार्ग को आलोकि मार्ग, इंटरपिटेशन सेंटर को शैलेश घिल्डियाल के नाम, चीला सफारी मार्ग को प्रमोद ध्यानी मार्ग व हाथीखाने को सैफू के नाम करने की मांग की थी। मगर इन मांगो के विपरीत अब तक कुछ नहीं हुआ। वहीं पहली बरसी पर केवल चीला सफारी मार्ग मे चारो शहीदों के शिलापट विभिन्न स्थानों पर लगा दिए गए।
“हमने ऋषिकेश- चीला मार्ग, इंटरपिटेशन सेंटर, चीला सफारी मार्ग व हाथीखाना के नाम चारो शाहीदो के नाम पर करने की मांग रखी थी मगर केवल सफारी मार्ग पर ही शिलापट लगाए गए है, हमारी इस मांग पर उच्चाधिकारियों को विचार विमर्श करना चाहिए,अगर ऐसा होता है तो वह शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होंगी।”
हरपाल गुसाईं, अध्यक्ष, सहायक वन कर्मचारी संघ।