स्वरूप पुरी/सुनील पाल
राज्य वन महकमा एक बार फिर अपनी कार्यशैली को लेकर देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। बुधवार को जंहा अपनी कार्यशैली, कार्यप्रणाली व भ्रष्टाचार के आरोपो के चलते कुछ बागड़बिल्ले अफसरो को ईडी के द्वारा खंगाला गया, तो कइयों की धड़कने तेज हो गयी। इस प्रकरण पर राज्य वन महकमे की जम कर किरकिरी हुई है। ऐसी घटनाएं यंहा कार्यरत अफसरों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है। इस प्रकरण के बाद आज का दिन भी उत्तराखंड वन महकमे के लिए कई सवाल ले कर आया है। आज से ठीक एक माह पूर्व 8 जनवरी को एक हादसा ऐसा घटा जिसको ले कर देश ही नही विदेशों तक मे इसकी चर्चा हुई। राजाजी की चीला रेंज में घटित एक हादसे में युवा जांबाज अफसरों की मौत ने पूरे प्रदेश के साथ देश भर में सुर्खियां बटोरी। युवा अफसरों की मौत के बाद सभी ने घड़ियाली आंसू बहा इस घटना के दोषियों को जल्द सजा देने का ऐलान भी किया। साथ ही इनकी चिताओ पर इनकी शहादत को जल्द ही उचित सम्मान देने के बड़े बड़े वादे भी किये गए । मगर वक्त बीतने के साथ ही अब तक इनकी शहादत को लेकर क्या किया, उसका नतीजा सिफर ही रह। अब सवाल यह है कि उच्च अफसर अपने पदों पर विराजित हो करते क्या है। गम्भीर प्रकरणों पर भी कार्यवाही न करना भी एक बड़ा सवाल है।
आलोकी, शैलेश ,प्रमोद ,सैफू अंत्येष्टि घाट पर तुम्हारे लिए किए थे बड़े बड़े वादे, अब कहते सम्मान प्रकिया में लगता है समय शहादत का दोषी कौन, कब आएगा तुम्हारी शहादत का गुनहगार जांच के दायरे में ?
बीते एक माह पूर्व जब घटना में मृत अधिकारियों की हरिद्वार के खड़खड़ी शमशान घाट पर अंत्येष्टि की जा रही थी, तब कई जिम्मेदारों द्वारा बड़े बड़े वादे किए गए थे। मगर एक माह बीतने के बाद भी वो वादे कहा है। क्या ये महज आक्रोश को रोकने के लिए एक ड्रामा था। क्यो की इस घटना ने अपने पीछे कई सवाल छोड़े है। कौन था वो गुनहगार, जिसने इस ट्रायल वाहन की अत्यधिक स्पीड को जानते हुए भी इसके ट्रायल की अनुमति दी। कौन था वो जिसने ट्रायल के नाम पर कई अफसरों व प्रदेश के वन मंत्री की जान को खतरे की जद में डाला। इतनी ज्यादा अत्यधिक स्पीड से चलने वाले वाहन को जंगल मे ट्रायल की अनुमति देने वाले कि जांच तो जरूरी है। क्या ऐसा तो नही की इस अत्यधिक स्पीड वाले वाहन को अनुमति देने के पीछे कोई हित छिपा हो। सवाल यह भी हो सकता है कि इस ट्रायल के पीछे वाहन निर्माता कंपनी ने कोई मोटी मलाई बांटी हो। ये प्रश्न गम्भीर है ओर पूरे प्रदेश की जनता इस पर चर्चा भी कर रही है। और तो और यह सवाल भी वन महकमे ने ही पैदा किया है। समय समय पर भरस्टाचार व काली कमाई, कमीशन के आरोप अफसरों पर लगते ही रहते है। कल ईडी की छापेमारी पर लपेटे में आये अफसर, इन सवालों की पुष्टि करते है।
हादसा या हत्या, एसआईटी करे जांच, इस गम्भीर प्रकरण को लेकर उच्च अफसर व वन संगठन क्यो नही सजग,मृत पुण्य आत्माओं को कब दी जाएगी सच्ची श्रद्धांजलि ?
वन्ही इस हादसे के बाद अब तक शहीद हुए अफसरों के सम्मान को लेकर कुछ भी नही किया गया है। इस घटना के कुछ दिन बाद ही जिम्मेदार अफसर ट्रेनिंग पर चले गए। तीन उच्च अधिकारियों की शहादत व गमगीन वातारवरण के बाद क्या ट्रेनिंग जरूरी थी। अगर वो ट्रेनिंग पर गए थे, तो उनकी जगह कार्यकारी का चार्ज संभालने वाले अफसर ने अब तक क्या किया यह भी एक बड़ा सवाल है। वन्ही मीडिया में खबरे छपने के बाद राजाजी के सोए हुए संगठन भी नींद से जागे है। आगामी 11 तारीख को इस प्रकरण पर उनके द्वारा बैठक रखी गयी है। उम्मीद है कि उनकी इस बैठक पर कुछ निर्णय लिए जाएंगे। मगर एक माह का वक्त बहुत लंबा होता है। अगर उच्च अफसरों व वन संघठनो में शहादत पाए अपने वन अधिकारियों व वन कर्मियों के प्रति कुछ करने की चाहत होती, तो जीवन भर वन्यजीव संरक्षण व संवर्धन के प्रति अपनी शहादत देने वाले शहीदो की आत्मा भी प्रसन्न होती।
“जाँच अभी जारी है विभिन्न स्तर पर जाँच चल रही है, राजाजी के निदेशक अभी ट्रेनिंग पर है उनसे भी बात की जानी है, जहाँ तक बात स्मारक की है तो हम अपने विभाग के लोगो को भूलते नहीं है, इसके लिए कई तरह की प्रकिया होती है, जल्द ही स्मारक बनाया जायेगा।”
समीर सिन्हा, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन उत्तराखंड।