स्वरुप पुरी /सुनील पाल
जिम कॉर्बेट से लाया गया बाघ T-8 राजाजी टाइगर रिजर्व के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। मोतीचूर रेंज से निकल देहरादून वन प्रभाग व नरेंद्र नगर डिवीज़न तक फेरा लगा चूका T-8 इन दिनों ऋषिकेश व बड़कोट रेंज के आस पास डेरा जमाये हुए है। बीती 30 मई को इस छेत्र के जंगल मे एक युवक की मौत भी चर्चा मे बनी हुई है। शक टाइगर T-8 के साथ ही इस छेत्र मे मौजूद एक अन्य बाघ पर भी है। अधिकारियों की माने तो वह प्रकरण जांच के दायरे मे है। बहरहाल पार्क प्रसाशन के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना T-8,को एक बार फिर वापस लाने का दबाव है। नीर गड्डू से लेकर बड़कोट तक कई पिंजरे लगाने पर भी सफलता न मिलने के बाद अब जल्द ही इसे ट्रेंकुलाइज करने की तैयारी की जा रही है।
24 घंटे निगरानी के आदेश, टाइगर मॉनिटरिंग टीम मे भी बदलाव
कई दिनों से यह बाघ राजाजी की सीमा से बाहर है। मोतीचूर रेंज के सभी वनकर्मी लगातार दिन रात इस बाघ को मॉनिटर कर रहे है। साथ ही बड़कोट व ऋषिकेश के वनकर्मी भी इस मुहीम मे शामिल है। अफसरों के नेतृत्व मे बाघ की हर मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है। पार्क निदेशक की माने तो बेहतरीन टीम वर्क के चलते अब तक बाघ सुरक्षित है। वहीं T-8 के पार्क से बाहर निकलने मे लापरवाही के चलते टाइगर मॉनिटरिंग टीम इंचार्ज समुन्द्र पाल को हटा कर नए इंचार्ज की तैनाती की गयी है। ग्राऊंड लेवल स्टाफ की मेहनत जरूर रंग लायेगी। साथ ही आबादीय छेत्रो मे भी लोगो से सतर्क रहने की अपील की जा रही है। परिस्थितिया अनुकूल नहीं है, मगर जल्द ही इस विकट समस्या से निपट बाघ को सुरक्षित वापस लाया जाएगा।
“30 मई को हुई घटना की जाँच अभी जारी है, युवक पर टाइगर ने ही हमला किया था, जिसमे युवक की मौत हो गई थी, उस क्षेत्र मे T-8 के अलावा एक और टाइगर का भी मुवमेंट देखा गया है तो यह कहना मुश्किल है की हमला कौन से टाइगर ने किया है, T-8 को ट्रेंकुलाइज करने की तैयारी चल रही है, मोतीचूर रेंज के वन कर्मी और उनकी टाइगर मॉनिटरिंग टीम बेहतर काम कर रही है, मौका मिलते ही उसको ट्रेंकुलाइज कर वापस राजाजी के बाड़े में लाया जाएगा।”
कोको रोसे, निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व।