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वन्यजीव संरक्षण व संवर्धन को अतिक्रमणकारियों की खुली चुनौती, नीलकंठ पैदल मार्ग पर अवैध दुकाने बनी संकट

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स्वरूप पूरी/सुनील पाल

हरिद्वार – सावन का मेला अब पूरी रंगत में आ चुका है। वहीं दूसरी ओर राजाजी टाइगर रिजर्व की बात करें तो सावन के मेले के दौरान पैदल मार्ग पर लगने वाली अवैध दुकानें , वन महकमे के लिए चुनौती बनकर सामने आ रही है। यह क्षेत्र राजाजी टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में आता है । हाल ही में पार्क निदेशक साकेत बडोला ने क्षेत्र का दौरा कर वन कर्मियों को इस मार्ग पर अवैध दुकानों पर सख्त हिदायत दी गई थी ,मगर उसके बावजूद भी इस क्षेत्र में आज सैकड़ों की संख्या में लगी दुकानें साबित करती है कि वनकर्मियों को अधिकारियों के आदेश की परवाह नही है। गौरतलब है कि गोहरी रेंज के 84 कुटी क्षेत्र से नीलकंठ मंदिर तक का अधिकतर हिस्सा राजाजी टाइगर रिजर्व में पड़ता है। यह क्षेत्र शेड्यूल वन के कई प्राणियों बाघ, गुलदार, भालू सहित जंगली गजराजो के कॉरिडोर के रूप में भी विख्यात है ।सदियों से श्रद्धालु यहां से गुजर रहे इस पैदल मार्ग का सावन के दौरान इस्तेमाल करते हैं। मगर व्यवसायिक दृष्टि रखने वाले लोगों ने इस मार्ग पर अवैध रूप से दुकानें लगाकर नियमों की धज्जियां उड़ानी शुरू कर दी है । वही इन अवैध दुकानों के पीछे वन कर्मियों की नकारात्मक भूमिका भी समझी जा सकती है आखिर कैसे राजाजी टाइगर रिजर्व में बिना अनुमति के ये दुकाने मेले के दौरान लग जाती हैं।

मनसा देवी मंदिर मार्ग पर अवैध दुकानों पर कठोर कार्यवाही, तो नीलकंठ पैदल मार्ग पर कृपा क्यों

वही पार्क प्रशासन की बात करें तो कुछ दिनों पूर्व पार्क महकमे द्वारा हरिद्वार रेंज के तहत आने वाले माता मनसा देवी पैदल मार्ग पर अवैध दुकानों को लेकर कठोर कार्यवाही की गई थी। वही कुछ दिनों पूर्व नीलकंठ पैदल मार्ग पर भी पार्क निदेशक द्वारा मौके का निरीक्षण कर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे मगर उसके बावजूद भी पूरे मार्ग पर अवैध दुकानों का लग जाना सोचनीय विषय है ।आखिर कौन है जो इन दुकानों को संरक्षण दे रहा है ।आखिर अब क्यों नहीं इन पर कठोर कार्रवाई की जा रही है ।एनजीटी की गाइडलाइन व पार्क प्रशासन के नियमों की बात करें तो कोई भी व्यक्ति दुकान तो लगाना दूर बिना अनुमति के वन क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकता है। हालांकि नीलकंठ पैदल मार्ग सदियों से श्रद्धालुओं द्वारा उपयोग किया जा रहा है, मगर दुकानों को इस मार्ग की आड़ में कौन अनुमति दे रहा है यह बड़ा सवाल है।

“धार्मिक भावनाओं के साथ हमें पर्यावरण और वन्यजीवो के संरक्षण का भी ध्यान रखना होगा, अवैध दुकाने और भंडारो के बाद वहां छोड़ी गई गंदगी और पोलेथोलिन इन सब के लिए हानिकारक होती है इन सब पर सख़्ती से रोक लगनी चाहिए।”

ग्रीन मेन विजय सिंह बघेल, पर्यावरण विद।

“यह राजाजी का कोर क्षेत्र है, यहां हाथी, गुलदार टाइगर और भालू जैसे वन्यजीवो का आवागमन रहता है, कांवड़ मेले के दौरान कांवड़िये रात को भी इस रास्ते का प्रयोग करते है जो की वन्य जीवो के लिए ही नहीं बल्कि मनावों के लिए भी खतरनाक है इन सब पर रोक लगना जरुरी है।”

राजीव मेहता, पूर्व वन्यजीव प्रतिपालक अवैतनिक, राजाजी टाइगर रिजर्व।

“राजाजी मे अतिक्रमण के खिलाफ समय समय पर कारवाही की जाती है और अब की जा रही है, नीलकंठ रोड पर कुछ भण्डारो को स्टेट बोर्ड के आदेश पर अनुमति दी गई है अगर उनकी आड मे किसी ने दुकाने लगाई है तो उनके खिलाफ भी कारवाही की जाएगी।”

साकेत बडोला, निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व।

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