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राजाजी मे वन ग़ुज्जरो की भैसे बनी आफत, गोहरी मे भैंसों से टकराकर वाहन पलटा, मौक़े पे तैनात वन कर्मियों की भूमिका पर सवाल

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स्वरुप पुरी /सुनील पाल 

राजाजी टाइगर रिजर्व मे आज एक बार फिर वन ग़ुज्जरो की भैंसे आफत बन कर सामने आयी है। आज तड़के नींद मे पड़े वन कर्मियों को कुनाउ पुल के पास एक वाहन के पलटे हुए होने की सूचना मिली। रात भर पेट्रोलिंग के दावे करने वाले कर्मी ज़ब मौके पर पंहुचे तो घटनास्थल पर एक वाहन पलटा हुआ होने के साथ ही दो भैंसे मृत अवस्था मे मिली। वंही कुछ दिनों पूर्व राजाजी टाइगर रिजर्व मे मौजूद वन ग़ुज्जरो की भैसो के आतंक को लेकर रायवाला के ग्राम प्रधान ने उच्च स्तर पर कई अधिकारियों को पत्र लिखा था। बहरहाल इस घटना के बाद वन महकमे मे हड़कंप मचा हुआ। रात्रि पेट्रोलिंग को लेकर भी वन कर्मियों पर सवाल उठ रहे है। कुनाउ गोठ एक बार फिर चर्चा मे आ गया है। इस छेत्र मे वर्षो से वन ग़ुज्जर रहते आये है, पार्क प्रसाशन अब तक इनका विस्थापन नहीं कर पाया है। वंही सैकड़ो की तादाद मे इनकी भैंसे जंगलो मे चरने जाती है, पिछले वर्ष यह ज़ब मीडिया ने दिखया तो पार्क प्रसाशन हरकत मे आया था, मगर आज की इस घटना ने फिर से कई सवाल खडे कर दिए है।

आखिर इतनी तड़के कैसे यह वाहन यंहा से गुजर रहा था, वन गुज्जरो की भैंसे सड़क पर कैसे थी, क्या होंगी इसकी जांच ?

आज की इस घटना ने वन कर्मियों की भूमिका पर सवाल खडे किए है। पहला सवाल है की तमाम प्रयासो व पेट्रोलिंग के दावो के बावजूद भी आखिर ये भैंसे सड़क पर कैसे पंहुंची। क्या इन्हे स्थानीय स्तर पर रात भर जंगलो मे चरने की छूट है, या फिर इन्हे रोकने वाले महज फोटो खींचो, ऑफिसयल ग्रुप मे अपडेट करो तक ही अपनी नौकरी कर रहे है। यह जांच का विषय है। ज़ब शाम ढलते ही चीला व गोहरी के गेट बंद हो जाते है, तो अल सुबह इस वाहन के सवार कहाँ से आ रहे थे यह भी जांच का विषय है।

नये निदेशक ने दिए कठोर कार्यवाही के संकेत, वन्यजीव संरक्षण प्रमुख चुनौती

राजाजी टाइगर रिजर्व के नवनियुक्त निदेशक ने इस घटना को दुर्भाग्य पूर्ण बताया है,उन्होने कहा की वन छेत्रो मे इस तरह की लापरवाही कतई बर्दास्त नहीं की जायेगी। वंही इस छेत्र की बात करे तो चीला व गोहरी रेंज राजाजी की शान कही जाती है। इस छेत्र मे वन्यजीवो के बेहतर संरक्षण व संवर्धन के चलते यंहा बाघो की संख्या मे उम्मीद से ज्यादा इजाफा हुआ है। मगर जिनके कंधो पर इसकी जिम्मेदारी है वो क्या कर रहे है। बहरहाल नए निदेशक ने कठोर कार्यवाही के संकेत दिए है, उम्मीद है की लापरवाह अब कुछ सचेत हो कर वन्यजीव संरक्षण मे अपनी भूमिका को लेकर कुछ सजग होंगे।

“ये एक बड़ी समस्या बनती जा रही है, इसका स्थायी समाधान निकालने के लिए प्रयास किये जा रहें है, मानसून के दौरान छत्तीग्रस्त हुई सुरक्षा दीवारों और फैसिंग वायर को भी ठीक कराया जायेगा, जिन गुज्जरो की भैसें प्रतिबंधित क्षेत्र मे चरती हुई मिलेंगी उनके खिलाफ कठोर कारवाही की जाएगी, इस समस्या के समाधान हेतु पशुपालन विभाग का भी सहयोग लिया जायेगा।”

कोको रोजे, निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व।

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