स्वरूप पूरी/सुनील पाल
बीती आठ जनवरी राजाजी टाइगर रिजर्व के लिए काल बन कर सामने आई है। राजाजी में एक वाहन के ट्रायल के दौरान कुछ होनहार अफसरों व कुछ वन कर्मियों ने एक हादसे में अपनी जान गंवाई है। मगर इस हादसे ने कई सवाल वन महकमे के सामने खड़े कर दिए है। चीला रेंज में एक कम्पनी द्वारा निर्मित वाहन का ट्रायल हुआ था। कुछ दिन पूर्व वन मंत्री ने भी इस वाहन का ट्रायल ट्रिप का मजा लिया था। घटना वाले दिन भी एक प्रोग्राम के बाद जंगल मे इस वाहन का ट्रायल किया गया। मगर उच्च अधिकारियों के जाने के बाद एक बार फिर कुछ लोगो के कहने पर जंगल के बाहर इसका ट्रायल लिया गया मगर इसी दौरान ओवर स्पीड के चलते यह वाहन काल की सवारी बन गया। अत्यधिक स्पीड के चलते तीन होनहार अफसर व दो वनकर्मी अपनी जान गंवा बैठे। अब भले ही इस प्रकरण को लेकर जांच-जांच का खेल शुरू हुआ हो मगर जवां युवा अफसरों की मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा।
कौन जिम्मेदार…कम्पनी या फिर वन महकमा
इस घटना के बाद सभी के मन मे एक सवाल रह रह कर आ रहा है। आखिर इस कम्पनी के वाहन की स्पीड जब इतनी जल्दी सेकेंडो में बढ़ जाती है तो उसे कैसे वन क्षेत्रों में ट्रायल की अनुमति दी गयी। वन्ही कुछ दिन पूर्व वन मंत्री व घटना वाले दिन उच्च अधिकारियों ने इसका ट्रायल लिया तो क्या वो सुरक्षित थे। क्या इस ऑटोमेटिक वाहन को किसी रेसिंग ट्रैक पर चलाना था। इसे तो जंगल के मतलब से लाया गया था। क्या जंगल मे चलने वाले इस वाहन में इतनी स्पीड की जरूरत थी। वन्ही वो कोन था जो जंगल के बाहर इसको बिना अनुमति के लेकर गया।
बिना किसी को बचाए कठोरता से की जाए जांच
इस घटना के बाद अब सभी की निगाहें इस घटना की जांच पर टिकी है। कुछ सवाल ऐसे है जिनके जवाब सभी को चाहिए। कम्पनी द्वारा ट्रायल पर भेजे गए इस वाहन को क्या एक्सपर्ट ड्राइवर चला रहा था। वन्ही जो वीडियो सामने आया है उसमें किसी ने स्पीड बढ़ाने की बात कही । वो कौन था। अगर ड्राइवर एक्सपर्ट होता तो वो क्यो किसी के आदेश को फॉलो करता। वो अपने हिसाब से वाहन को चलाता। वन्ही गाड़ी में लगे फ्रंट कैमरे का वीडियो तो आ गया मगर सूत्रों की माने तो इस वाहन में 360 डिग्री का कैमरा भी था, अगर था तो उसके वीडियो को भी चेक कर जांच की जानी चाहिए।