स्वरुप पुरी / सुनील पाल
धर्म व अध्यात्म की नगरी हरिद्वार में टस्करों का एक झुण्ड पिछले काफी दिनों से आतंक का पर्याय बना हुआ है। बीते काफी समय से यह झुण्ड गंगा को पार कर आबादी में आ रहा है। वन महकमे के पास इन्हे सुरक्षित वापस जंगल में खडेदने के सिवाय कोई अन्य विकल्प नहीं है। आज एक बार फिर सात गजराजो का यह झुण्ड गाडोवाली छेत्र में आ धमका। बीच खेतो में सात नर टस्करो को देख हड़कंप मच गया। देखते ही देखते वंहा लोगो का हुज़ूम उमड़ पड़ा, वन महकमे की टीमों ने भी मोर्चा संभाल कर इन को सुरक्षित तरिके से जंगल में खडेदने के प्रयास शुरू कर दिए। मगर आखिर कब तक। बीते कई वर्षो से यह समस्या मुँह बाए ख़डी है मगर इसका निदान क्या है यह बड़ा सवाल है।
कोरिडोर पर बस गई कई बस्तिया, निदान को लेकर कब होगा देहरादून से बजट जारी
हर बार इस समस्या को लेकर कई योजनाए बनाई जाती है। मगर धरातल पर पंहुचने से पहले ही बजट रोड़ा बन सामने आ जाता है। बेशक कभी यह कोरिडोर इन गजराजो का ही था, मगर अब बस्तीयो के चलते उनका यह कोरिडोर खत्म हो चला है। मासूम गजराज जाए तो जाए कंहा। मगर राज्य वन महकमे को इस बार गंभीर मंथन करना होगा। गजारजो के साथ इंसानो की जान भी बेशकीमती है, उन्हें सुरक्षित रखना भी वन महकमे की जिम्मेदारी है। वहीं हाथी रोधी दीवार को लेकर हरिद्वार वन प्रभाग ने प्रस्ताव तैयार कर गेंद उच्च अफसरों के पाले में डाल दी है। इन्तजार है तो देहरादून में बैठे अफसर कब बजट रिलीज करते है।
“हाथियों की आवाजाही रोकने के लिए टीमों की संख्या भी बढ़ा दी गई है, उनके आने वाले रास्ते मे खाई खोदने का काम भी शुरू कर दिया है, सोलर फैंसिंग भी लगाई जाएगी और साथ ही दीवार निर्माण के लिए शासन को प्रस्ताव भी भेजा गया है।”
संदीपा शर्मा, एसडीओ हरिद्वार वन प्रभाग।