स्वरुप पुरी /सुनील पाल
राज्य के मैदानी छेत्रो की बात करे तो भारतीय रेलवे का अधिकतर हिस्सा वन छेत्रो से गुजरता है। हरिद्वार देहरादून रेलवे ट्रैक बीते कुछ वर्षो में सैकड़ो वन्यजीवो के लिए आफत बन सामने आया है। इस ट्रैक पर कई बार जंगली गजराजो व गुलदरो की ट्रैन से कट मौत हो चुकी है। बीते कुछ समय से इस गंभीर प्रकरण पर रेलवे व वन महकमे ने आपसी समन्वयता के तहत इन घटनाओ को रोकने के लिए सार्थक प्रयास किए है। इन प्रयासो से सफलता तो मिली है, मगर धरातल पर अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
देहरादून व हरिद्वार में आयोजित की गयी विचार गोष्ठी, सार्थक नतीजो को लेकर किया गया मंथन
इस गंभीर प्रकरण को लेकर डब्लूडब्लूएफ इंडिया, उत्तर रेलवे व वन विभाग की सोमवार को देहरादून व मंगलवार को हरिद्वार में कार्यशालाए आयोजित की गयी. यह कार्यक्रम एशिया के लीनियर इंफ्रास्ट्रक्चर सेफगार्डिंग नेचर परियोजना के तहत आयोजित किया गया था। कार्यशाला के दौरान रेलवे परिचालन के साथ रेलवे ट्रैक पर गस्त करने वालो की स्थिति पर चर्चा की गयी। साथ ही ट्रेनों के गुजरने के दौरान वन्यजीवो की सुरक्षा को लेकर भी मंथन किया गया। कार्यशाला में वन महकमे के आलाफसर, रेलवे के अधिकारी, लोको पायलटस, व डब्लू डब्लू एफ के अधिकारियों ने आपसी विचार व निदान से संबंधित अनुभव को साझा किया। इस मौके पर हरिद्वार रेंज अधिकारी बिजेंद्र दत्त तिवारी, वन दरोगा गणेश बहुगणा, बी के मलिक, विक्रम तोमर आदि मौजूद रहे।
“यह कार्यशाला बहुत ही महत्वपूर्ण थी,रेलवे व वनकर्मियों द्वारा वन्यजीव दुर्घटना को लेकर धरातल पर बेहतर कार्य किया जा रहा है। “
हरीश नेगी, वन्यजीव प्रतिपालक, राजाजी।
“हरिद्वार देहरादून रेलवे लाइन का बडा हिस्सा राजाजी टाइगर रिजर्व से होकर गुजरता है, वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते यहां हाथियों और दूसरे जानवरो की दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना बनी रहती है ऐसी घटनाओ को रोकने के लिए इस तरह की वर्कशॉप का आयोजन किया जाता है।”
विक्रम सिंह तोमर, वन्यजीव सलाहकार, डब्लूडब्लूएफ इंडिया।