स्वरुप पुरी /सुनील पाल
बीते रविवार को हरिद्वार वन प्रभाग के सजनपुर पीली मे एक हाथी की करंट लगने से मौत हो गयी थी। शुरुआत मे इस घटना के पीछे गाँव की ओर जा रहे बिजली के तारो को कारण माना गया था। मगर वन महकमे की टीम ने ज़ब धरातल पर इस मामले की जांच शुरू की तो कहानी कुछ और ही निकली। वन महकमे के अधिकारियों के अनुसार राजकुमार नाम के किसान ने अपनी फ़सल बचाने को लेकर खेत मे करंट लगाया था, जिसकी चपेट मे आ कर इस 45 वर्षीय गजराज की मौत हो गई थी। इस प्रकरण मे राजकुमार को गिरफ्तार तो कर लिया गया है मगर किसान करे तो क्या करे, इसका जवाब किसी के पास नहीं।
रात्रि गस्त पर उठ रहे सवाल, किसान फसल बचाए या फिर अपनी जान, वन्यजीवो का भगवान मालिक
करंट लगने से हाथी की मौत बहुत ही गंभीर प्रकरण है। इस हाथी की मौत ने कई सवाल खडे किए है। इसी छेत्र मे कुछ दिनों पूर्व एक किसान हाथी के द्वारा मारा गया था। पूर्व मे भी कई किसान मानव वन्यजीव संघर्ष मे व जंगली गजराज करंट से मारे जा चुके है.. आखिर कब तक। वन महकमे की टीम व आपात स्थिति के लिए बनी क्विक रिस्पांस टीम क्या कर रही है। गंगा तटीय यह छेत्र फसलों के उत्पादन के लिए विख्यात है मगर रेंज स्तर पर पेट्रोलिंग के सख्त निर्देशों के बावजूद भी घटनाए रुकने का नाम नहीं ले रही है।
मैदानी क्षेत्रों मे आला अफसर करे रात्रि निरीक्षण, तो होंगे चौकाने वाले खुलासे
राज्य वन महकमे के अधिकतर वन कर्मी कठिन परिश्रम करते है, मगर इनके बीच कुछ ऐसे भी है, जो महज अफसरों की मौजूदगी तक ही परिश्रम या उपस्थिति को ही नौकरी समझते है। प्रदेश के मैदानी हो या पहाड़ी छेत्र अगर अधिकारी रात को अचानक निरीक्षण करे तो अधिकतर कर्मचारी मौक़े पर ही नहीं मिलेंगे। यह सवाल गंभीर तो है मगर आखिर कब तक ऐसा चलेगा। कब तक प्रदेश के लोग मानव वन्यजीव संघर्ष या फिर वन्यजीवो की मौत के किस्से सुनते रहेंगे। जिस दिन अपने अपने मुख्यालयों मे बैठे अफसर धरातल पर स्वयं रात्रि गस्त करेंगे, उसी दिन से बदलाव नजर आने लगेगा।