स्वरुप पुरी /सुनील पाल
उत्तराखण्ड राज्य मे ऋषिकेश आज देश भर मे एक प्रमुख टूरिस्ट हब का दर्जा अख्तियार कर चूका है। कुछ वर्ष पूर्व तक विश्व भर मे तीर्थ नगरी के रूप मे विख्यात यह नगर आज पर्यटन नगर के रूप मे भी जाना जाता है। ऋषिकेश से सटे पौड़ी जिले के लक्ष्मण झूला छेत्र अपने वनो व प्राकृतिक खूबसूरती के कारण विख्यात है तो वहीं अत्यधिक पर्यटको की आवाजही के चलते फायर सीजन के दौरान एक बड़ा संकट भी यहां देखने को मिलता है। यह संकट वनाग्नि को लेकर होता है। हर वर्ष पर्यटक हो या फिर शरारती तत्व उनके चलते वन छेत्रो में वनाग्नि की घटनाए घटती रहती है। पिछले वर्ष शरारती तत्वों के चलते इस छेत्र मे वनाग्नि की घटनाए घटी, जिसके चलते वन महकमे को कई चुनौतीयों का सामना करना पड़ा।
इस वर्ष ऐसी घटना न हो इसको लेकर वन महकमा पहले से ही तैयार है। राजाजी की गोहरी रेंज मे कई इको विकास समितियों, स्थानीय गावों के ग्रामीणों व वन महकमे के अफसरों ने इस फायर सीजन के दौरान अपात स्थितियों से निपटने को लेकर गहन मंथन किया। वन्यजीव प्रतिपालक चित्रांजलि नेगी, वनक्षेत्रधिकारी राजेश जोशी, रमेश कोठियाल, देव सिंह बिष्ट ने ग्रामीणो संग आपसी समन्वय को लेकर चर्चा की गयी।
“फायर सीजन को लेकर सभी तैयारियां लगभग पूरी कर लीं गयी है, फायर सीजन के दौरान ग्रामीणों की सहभागिता व आपसी समन्वय को लेकर एक महत्वपूर्ण गोष्ठी आयोजित की गयी, जल्द ही अन्य स्थानों पर भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, वनो व वन्यजीवी को बचाना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। “
राजेश जोशी, वन क्षेत्रधिकारी, गोहरी रेंज राजाजी।